जलवायु परिवर्तन: आईपीसीसी रिपोर्ट में विनाशलीला की चेतावनी

Newsletter - August 13, 2021

आखिरी चेतावनी: विशेषज्ञों का मानना है कि आईपीसीसी की रिपोर्ट मानवता को आखिरी चेतावनी की तरह है। फोटो –Alisa Singer/IPCC

आईपीसीसी रिपोर्ट: वैज्ञानिकों ने दी ग्लोबल वॉर्मिंग के गंभीर नतीजों की चेतावनी

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के पैनल आईपीसीसी की ताज़ा आंकलन रिपोर्ट के पहले भाग में गंभीर संकट की चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है आने वाले दिनों में बाढ़, हीटवेव और समुद्र सतह में बढ़ोतरी की घटनायें तेज़ होंगी। रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनिया के देशों के मौजूदा कदमों को लेकर कोई अधिक उम्मीद नहीं है। 

पैनल कहता है कि अभी भले ही हम इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या धरती की तापमान वृद्धि 1.5 से 2.0 डिग्री पर रुकेगी लेकिन सरकारों की नीतियां इसे बढ़ोतरी को 4.0 डिग्री तक भी ले जा सकती है। अभी के वादे भी 3.0 डिग्री तापमान वृद्धि करेंगे। रिपोर्ट कहती है कि इस दशक के अंत तक औसत तापमान वृद्धि 1.5-2.0 डिग्री होगी। एशिया को लेकर मुख्य बातों में कहा गया है कि हीट एक्ट्रीम बढ़ी हैं और कोल्ड एक्सट्रीम कम हुई है यानी ग्लोबल वॉर्मिंग के साफ बढ़ने के संकेत हैं। इसका अर्थ यह है तापमान बढ़ने की दिशा में और तेज़ होगा और भीषण ठंड कम होती जायेगी। दक्षिण एशिया को लेकर कहा गया है कि हीटवेव (लू) और ह्यूमिड हीट स्ट्रैस (नमी भरी गर्मी की मार) बढ़ेगी इस सदी में बरसात के सालाना और ग्रीष्म मॉनसून स्तर नें लगातार बढ़ोतरी होगी।

समुद्र में हलचल, ग्लेशियर पिघलेंगे और जंगलों में आग की घटनायें बढ़ेंगी: आईपीसीसी 

आईपीसीसी रिपोर्ट में यह चेतावनी भी है कि समुद्री हीट वेव का बढ़ना जारी रहेगा। जानकार मानते हैं कि इससे चक्रवाती तूफानों की संख्या और मारक क्षमता बढ़ेगी। भारत की तटरेखा करीब 7500 किलोमीटर लम्बी है और इसकी वजह से उसे कई संकटों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर एशिया में हर जगह औसत से भारी बारिश होगी खासतौर से जंगल में आग लगने के महीनों( वक़्त) में । दक्षिण एशिया को लेकर कहा गया है कि हीटवेव (लू) और ह्यूमिड हीट स्ट्रैस (नमी भरी गर्मी की मार) बढ़ेगी इस सदी में बरसात के सालाना और ग्रीष्म मॉनसून स्तर नें लगातार बढ़ोतरी होगी।

ग्लेशियरों को लेकर दी गई चेतावनी में कहा गया है कि उनकी बर्फ कम होना जारी रहेगा और पर्माफ्रॉस्ट (हिमनदों पर जमी बर्फ) गल कर पिघलेगी। पर्माफॉस्ट के गलने से कार्बन इमीशन बढ़ जाता है क्योंकि उसने नीचे दबे कार्बनिक तत्व या जीवाश्म कार्बन छोड़ेंगे। हिन्दुकुश-हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र सतह का स्तर बढ़ेगा और मॉनसून पैटर्न प्रभावित होगा। बहुत सारे परिवर्तन ऐसे होंगे जिन्हें फिर वापस ठीक नहीं किया जा सकता। 

मानवता के लिये ख़तरे की घंटी: गुट्रिस 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुट्रिस आईपीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनियों को “मानवता के लिये ख़तरे की घंटी” बताया है। गुट्रिस के मुताबिक, ‘इस घंटी का शोर हमारे कानों को बहुत जोर से सुनाई पड़ रहा है और इससे इनकार करना नामुमकिन है। जीवाश्मों के जलने से उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैसों और जंगलों के लगातार कटते जाने से दुनिया का दम घुट रहा है और अरबों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। तापमान बढ़ने से धरती का हर इलाका प्रभावित हो रहा है। इनमें से कई बदलाव ऐसे हैं, जो अब अपरिवर्तनीय बन रहे हैं”

आईपीसीसी की रिपोर्ट कहती है कि अब इस बात के बिल्कुल स्पष्ट प्रमाण है कि ग्लोबल वॉर्मिंग मानव जनित है और इसे रोकने के लिये युद्ध स्तर पर कोशिश करनी होंगी। रिपोर्ट के मुताबिक “मानव जनित ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिये स्पेस में लगातार जमा हो रहे कार्बन को नियंत्रित करना होगा और नेट ज़ीरो हासिल करना होगा। इसके साथ ही अन्य ग्रीन हाउस गैसों को भी रोकना होगा।”

वैज्ञानिकों ने कहा है कि बहुत कम कार्बन उत्सर्जन की स्थिति में ग्लोबल तापमान 1-1.9 डिग्री या  1-1.26  डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा। इस तापमान वृद्धि के साथ जिंदा रहना मुमकिन है और इससे बचने के उपाय किये जा सकते हैं। मगर बहुत कम कार्बन उत्सर्जन नहीं हासिल करने की स्थिति ग्लोबल वार्मिंग और ज्यादा बढ़ेगी जिसमें जीवन मुश्किल होगा।  

तीन अमेरिकियों  का उत्सर्जन एक आदमी को मारने के लिये काफी: शोध 

नेचर कम्युनिकेशन में छपे शोध से पता चलता है कि औसतन 3 अमेरिकी अपने लाइफ स्टाइल से इतना कार्बन उत्सर्जन करते हैं जो एक इंसान को मारने के लिये काफी है। इसी शोध में कहा गया है कि एक कोल प्लांट करीब 900 लोगों की मौत के लिये ज़िम्मेदार है। जन स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर किये गये इस शोध में यह भी बताया गया है कि विश्व में होने वाले हर 4,434 टन CO2 इमीशन के कारण एक इंसान की समय से पहले मृत्यु होने का ख़तरा है। यह करीब 3.5 अमेरिकियों द्वारा पूरे जीवन में किये गये उत्सर्जन के बराबर है। इस शोध के लेखक कहते हैं कि यह आंकड़ा बहुत सटीक नहीं है और असल समस्या से काफी कम है क्योंकि इसमें केवल तापमान को लेकर मृत्यु दर की गणना की गई है और जलवायु के कारण बाढ़, सूखे और चक्रवाती तूफानों को छोड़ दिया गया है।  

बाढ़ एटलस: इसरो ने पूर्वी राज्यों में बाढ़ प्रभावित इलाकों के बेहतर प्रबंधन के लिये एक एटलस बनाई है। फोटो – Ny Menghor on Unsplash

इसरो ने असम, बिहार और ओडिशा के लिये बाढ़ संकट एटलस बनाई

भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो ने असम, बिहार और ओडिशा के लिये बाढ़ संकट एटलस बनायी है। इन राज्यों में हर साल बाढ़ का काफी प्रकोप रहता है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि यह एटलस बाढ़ के ख़तरों वाले इलाकों को 3 हिस्सों में विभाजित करेगी। बहुत अधिक, सामान्य और कम या बहुत कम।  मंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में पिछले 20 साल में बाढ़ के ख़तरों के आधार पर यह वर्गीकरण होगा। इस एटलस का मकसद अलग-अलग विभागों के बीच बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन का बेहतर समन्वय करना है। 

संसदीय कमेटी: सिन्धु जल संधि पर पाकिस्तान से पुन: वार्ता हो 

जल संसाधन पर संसद की स्थाई समिति ने सरकार से कहा है कि वह 1960 में हुए सिन्धु जल समझौते पर पाकिस्तान सरकार से फिर बात करे। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों और चुनौतियों को देखते हुये पाकिस्तान से पुन: वार्ता की ज़रूरत महसूस हो रही है।  समिति का कहना है कि जब यह सन्धि हुई थी तब ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे ख़तरों और पर्यावरण प्रभाव आकलन जैसी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया था। कमेटी ने अब सिन्धु बेसिन पर पानी की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखकर वैधानिक नियमों के तहत एक संस्थागत ढांचा बनाने की सिफारिश की है।  

ओमान ने 2030 तक इमीशन 7% कम करने की घोषणा की 

ओमान के सुल्तान ने अब संयुक्त राष्ट्र को अपना क्लाइमेट एक्शन प्लान भेजा है। इसके तहत 2030 तक अभी के हिसाब से होने वाले इमिशन (बिजनेस एज़ यूज़वल) की तुलना में ओमान अपना उत्सर्जन 7% कम करेगा। महत्वपूर्ण है कि कोरोमा महामारी के समय ओमान की तेल से कमाई में भारी गिरावट हुई थी। ओमान ने 2015 में 2% की कमी का वादा किया था। इस नये वादे के बावजूद यह खाड़ी देश प्रति व्यक्ति इमिशन के हिसाब से सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाले देशों में होगा  और इसमें से आधी इमिशन कटौती इस शर्त पर है कि उसके लिये अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद मिले।  

हवा पर असर: आईपीसीसी की ताज़ा आकलन रिपोर्ट के हिसाब से जानलेवा वायु प्रदूषकों का स्तर दक्षिण एशिया में अपेक्षाकृत अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है। फोटो – The Indian Express

आईपीसीसी रिपोर्ट: भारत की हवा में SO2, NO2, अमोनिया और पीएम 2.5 का स्तर सबसे ऊंचा

आईपीसीसी की ताज़ा जलवायु परिवर्तन आंकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की हवा में प्रदूषण के स्तर तेज़ी से बढ़ना जारी है। रिपोर्ट कहती है कि जानलेवा वायु प्रदूषकों – जैसे सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, अमोनिया, ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर पूरी दुनिया में बढ़ रहा है पर दक्षिण एशिया में यह अपेक्षाकृत अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।   

आईसीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट के छठे अध्याय में, जिसका नाम शॉर्ट लिव्ड क्लाइमेट फोर्सेस या एसएलसीएफ (जलवायु को प्रभावित करने वाले कण और गैसें) है, कहा गया है  कि 1950 से 1980 के बीच एसएलसीएफ की भौगोलिक उपस्थिति में भारी बदलाव हुआ है। मिसाल के तौर पर भारत में बिजली उत्पादन बढ़ने से अब दक्षिण एशिया की हवा में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2) की उपस्थिति 50% से अधिक बढ़ गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक मंदी और क्लीन एनर्जी के लिये उठाये गये प्रयासों के कारण 2011 से NO2 की सांध्रता घटनी शुरू हुई थी।  

रिपोर्ट यह भी कहती है कि अमेरिका में मिड-वेस्ट और सेंट्रल वैली के अलावा उत्तर भारत खासतौर से गंगा के मैदानी हिस्सों में बायोमास जलाने के कारण अमोनिया काफी उच्च स्तर पर है। 

उज्ज्वला 2.0: चुनाव से पहले यूपी की हवा होगी साफ? 

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में चुनाव करीब आ रहे हैं और केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है। इसके लिये महोबा ज़िले में लोगों को फ्री एलपीजी कनेक्शन  दिये गये। साल 2016 में जब यह योजना शुरू हुई तो गरीबी रेखा के नीचे 5 करोड़ महिला सदस्यों को कनेक्शन दिये गये। अप्रैल 2018 में दलित, आदिवासी और वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को शामिल कर सात और श्रेणियों को इस योजना में शामिल किया गया और 8 करोड़ लोगों तक यह योजना पहुंचाई गई। पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी की लगातार दूसरी जीत के लिये उज्ज्वला योजना को भी श्रेय दिया जाता है। 

लेकिन समस्या यह भी है कि कनेक्शन मिल जाने के बाद गरीब दोबारा सिलेंडर नहीं भरवा पाते। डाउन टु अर्थ में छपी इस रिपोर्ट से पता चलता है कि महोबा ज़िले में कुछ साल पहले मिले कनेक्शन के बाद लोग पैसे की तंगी के कारण सिलेंडर नहीं भरवा सके। 

वाहनों से प्रदूषण पर बाइडन बदलेंगे ट्रम्प के बनाये नियम 

अमेरिका में बाइडन प्रशासन ने घोषणा की है कि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति रहते वाहनों से प्रदूषण के मानकों में जो ढील दी गई उसे वापस लिया जायेगा। समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक इससे 2023 के मॉडल वर्ष में वाहनों की ईंधन गुणवत्ता 10%  बेहतर की जायेगी ताकि 2026 तक 52 मील प्रति गैलन का लक्ष्य हासिल किया जा सके जबकि ट्रम्प प्रशासन में 2026 में 43.3 मील प्रति गैलन का लक्ष्य था। 

साल 2020 में ट्रम्प ने ओबामा प्रशासन के फैसले को बदल कर हर साल 1.5% ईंधन क्षमता बढ़ाने की ही बाध्यता थी जबकि ओबामा के वक्त यह आंकड़ा 2025 तक हर साल 5% सुधार का रखा गया था। अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के प्रस्ताव में  2024 से 2026 तक सालाना 5% सुधार का प्रस्ताव था।  एजेंसी का कहना है कि 2026 में अमेरिका के बिकने वाले सालाना वाहनों में 8% बैटरी वाहन और प्लग इन हाइब्रिड की होगी। उसके प्रस्ताव  से 2050 तक गैसोलीन की खपत में 29 करोड़  बैरल से अधिक की गिरावट होगी। 

ग्रिड की समस्या: आंध्र प्रदेश में वितरण कंपनियों ने कहा है कि बिना प्लानिंग सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने से ग्रिड मैनेजमेंट फेल हो सकता है। फोटो – Indiamart

ईफा रिपोर्ट: 2022 तक 20 लाख सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य ख़तरे में

इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी, इकनोमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (ईफा) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने सिंचाई के लिये 2022 तक 20 लाख सोलर पम्प देने का जो लक्ष्य रखा है वह पूरा नहीं हो पायेगा। रिपोर्ट कहती है कि किसान न तो सोलर पम्प का खर्चा वहन कर सकते हैं और न उन्हें बैंक से कर्ज़ मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना जुलाई 2019 में शुरू की गई और केंद्र सरकार का लक्ष्य मार्च 2022 तक 30.8 गीगावॉट के सोलर पम्प लगाना है लेकिन वित्तवर्ष 2019-20 में केवल 2.46 लाख पम्प ही लग पाये। 

वितरण कंपनियां कर रही हैं रिन्यूएबिल पावर बहुत बढ़ाने का विरोध 

आंध्र प्रदेश की वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बहुत अधिक बढ़ाने का विरोध कर रही हैं। उन्हें डर है कि पावर सप्लाई के तीव्र उतार-चढ़ाव से ग्रिड पर फेल हो सकता है। डिस्कॉम कह रही हैं कि उनके लिये योजना बनाना असंभव हो गया है और बड़े स्तर पर वेरिएबिल रिन्यूएबिल एनर्जी (वीआरई) इंटीग्रेशन से सिस्टम ऑपरेटर के आगे कई अनिश्चिततायें रहती हैं। आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दायर अर्ज़ी में वितरण कंपनियों ने कहा है कि वीआरई की अनिश्चिततायें सप्लाई के लिये मुश्किल पैदा कर रही हैं।  राज्य में अभी साफ ऊर्जा क्षमता 7,500 मेगावॉट है और खेती की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सरकार का इरादा  अगले 3 साल में 10,000 मेगावॉट क्षमता जोड़ने का है। 

छत्तीसगढ़: साफ ऊर्जा न खरीद पाने पर कंपनी पर जुर्माना 

छत्तीसगढ़ में कैप्टिव पावर उत्पादक कंपनी इंडिसिल एनर्जी एंड इलेक्ट्रोकैमिकल पर 1 लाख रुपये का रुपये का जुर्माना किया गया है क्योंकि कंपनी रिन्यूएबल परचेज़ ऑब्लिगेशन (आरपीओ) का पालन नहीं कर पाई। राज्य के विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि कंपनी ने साल 2016-17 और 2017-18 में आरपीओ लक्ष्य पूरा नहीं किया जिस वजह से ये पेनल्टी लगाई गई है। कंपनी आयोग के सामने पेश भी नहीं हुई जिसके बाद ये जुर्माना लगाया गया। 

इम्पोर्ट ड्यूटी घटेगी: बैटरी कारों की कीमतों को भारतीय बाज़ार के लायक रखने के लिये आयातित कारों की ड्यूटी कम की जा सकती है। फोटो – Michael Fousert on Unsplash

भारत में बैटरी वाहनों की आयात ड्यूटी में 40% तक कटौती संभव

हाल ही में ख़बर आई थी कि पूरी तरह बाहर बनी बैटरी कारों पर आयात शुल्क घटाने से सरकारों ने इनकार कर दिया है। अब समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट संकेत देती है कि सरकार आखिरकार इस ड्यूटी को 40% तक कम कर सकती है। इसका मतलब है कि 40,000 की कार की ड्यूटी 60% से घटकर 40% हो जायेगी और इससे अधिक महंगी कार की ड्यूटी 100% से घटकर 60% हो जायेंगी। इस ख़बर को आधिकारिक रूप से पुष्ट नहीं किया गया है कि लेकिन बड़ी कार कंपनियों टेस्ला और वीडब्लू ने भारत सरकार से मांग की थी कि हिन्दुस्तान के उपभोक्ताओं की पहुंच लायक इलैक्ट्रिक कारें तभी बन पायेंगी जब ड्यूटी में कटौती हो। 

अमेरिका: 2030 तक बिकने वाले नये वाहनों में 50% ईवी 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन  ने एक शासकीय आदेश पर दस्तखत किये हैं जिसके मुताबिक लक्ष्य है कि साल 2030 तक वहां बिकने वाले आधे वाहन  इलैक्ट्रिक होंगे। असल में बाइडेन सीनेट में 1.2 लाख करोड़ डालर का इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल पेश कर रहे हैं जिसमें 1500 करोड़ डॉलर तो ईवी चार्जिंग स्टेशनों और इलैक्ट्रिक बसों के लिये हैं। यह आदेश इसी बिल का हिस्सा है। इससे गैसोलीन की खपत में 20,000 करोड़ लीटर की कटौती होगी और वातावरण में 200 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड जाने से रुकेगी। 

रुस: ईवी की खरीद पर 25% सब्सिडी की योजना 

रुसी सरकार ने घोषणा की है कि वह विद्युत वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिये देश के भीतर बनी 6,25,000 रूबल्स (8,570 डॉलर) तक कीमत वाले ईवी पर 25% तक छूट देगी। अभी देश में 4.5 करोड़ कारें हैं लेकिन इसमें केवल 11,000 ईवी हैं पर उसने पेरिस संधि पर दस्तखत किये हैं  2030 तक अपने उत्सर्जन को 1990 के स्तर से 70% लाने का वादा किया है। रूस ते और गैस का बड़ा उत्पादक देश है लेकिन वह 2030 तक 2,20,000 विद्युत वाहन बेचने का लक्ष्य बना रहा है। कई बड़ी कंपनियां रूस में ईवी के कारखाने लगाने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। 

धुंए में निवेश: देश की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक इंडियन ऑइल ने जीवाश्म ईंधन में बड़े निवेश की तैयारी की है। फोटो – The Hans India

इंडियन ऑइल जीवाश्म ईंधन कारोबार में करेगा 1300 करोड़ डॉलर का निवेश

भारत के सबसे बड़े ऑयल रिफायनरी और मार्केटिंग कंपनियों में एक इंडियन ऑयल ने कहा है कि वह अपने कारोबार के विस्तार में 1300 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर निवेश करेगा। कंपनी के चेयरमैन ने कहा कि आने वाले दिनों में जीवाश्म ईंधन का रोल बना रहेगा और यह कदम “एनर्जी सिक्योरिटी” के लिये उठाये जा रहे हैं। अपने विस्तार के लिये कंपनी का इरादा कुल 2700 करोड़ अमेरिकी डालर के बराबर निवेश का है। देश की वर्तमान रिफायनिंग क्षमता 249 मिलियन बैरल प्रति दिन है और अनुमान है कि साल 2025 तक बढ़कर यह 298 मिलियन बैरल प्रति दिन हो जायेगी। 

अमेरिका की एक काउंटी ने नये जीवाश्म ईंधन संयंत्रों पर पाबंदी लगाई 

उत्तर पश्चिम अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य की व्हटकॉम काउंटी ने किसी भी नये जीवाश्म ईंधन इंफ्रास्ट्रक्चर पर पाबंदी लगा दी है। पूरे देश में इस तरह का ये पहला कदम है। किसी वर्तमान संयंत्र का विस्तार करने के लिये उससे होने वाले कार्बन इमीशन को ऑफसेट करना भी ज़रूरी होगा। महत्वपूर्ण है कि वॉशिंगटन की 5 में 2 तेल रिफायनरी इसी काउंटी में हैं और यह कोयले से लेकर तेल, गैस औऱ प्रोपेन का ट्रांसपोर्ट हब है। काउंटी ने यह कदम क्षेत्र की एयर क्वॉलिटी और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान और क्लाइमेट प्रभावों को रोकने के लिये उठाया है।   

उधर दक्षिण में कैलिफोर्निया का पेटालुमा अमेरिका का पहला शहर बन गया है जहां इस साल मार्च से नये गैस स्टेशनों पर पाबंदी है। यह वर्तमान गैस स्टेशन मालिकों को इलैक्ट्रिक और हाइड्रोजन वेहिकल चार्जिंग पॉइन्ट्स लगाने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है। शहर की ये कोशिश 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की है। 

अमेरिका: तेल और गैस कंपनियां क्लाइमेट प्लान के खिलाफ फेसबुक प्रचार में लगा रही हैं 86,000 डॉलर 

फेसबुक की विज्ञापनों से होने वाली कमाई के आंकड़े बताते हैं कि जो बाइडेन ने जैसे ही 2020 में अपने  2 लाख करोड़ डॉलर के क्लाइमेट प्लान की घोषणा की तेल और गैस कंपनियों ने प्रचार अभियान में खर्च करीब 13 गुना कर दिया। इन कंपनियों ने उनके क्लाइमेट प्लान के खिलाफ हर रोज 86,000 डॉलर खर्च किये जबकि तब तक इनका दैनिक विज्ञापन खर्च 6,700 डॉलर था। तब बाइडन राष्ट्रपति पद के लिये प्रचार ही कर रहे थे लेकिन अमेरिका की सबसे बड़ी तेल, गैस कंपनियों और कई समूहों और संस्थानों ने नेचुरल गैस की वकालत में पूरा ज़ोर लगा दिया। इस प्रचार में यह बताया गया कि नेचुरल गैस बिल्कुल साफ ऊर्जा स्रोत है और आने वाले दिनों में इसे और बेहतर किया जा रहा है। 

फेसबुक कहता है कि वह तथ्यात्मक रूप से गलत विज्ञापनों को नहीं लेता (क्योंकि नेचुरल गैस क्लीन एनर्जी नहीं है)। फिर भी कंपनी ने इस कैंपेन से 1 करोड़ डॉलर कमाये। 

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