भारत के सबसे बड़े ऑयल रिफायनरी और मार्केटिंग कंपनियों में एक इंडियन ऑयल ने कहा है कि वह अपने कारोबार के विस्तार में 1300 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर निवेश करेगा। कंपनी के चेयरमैन ने कहा कि आने वाले दिनों में जीवाश्म ईंधन का रोल बना रहेगा और यह कदम “एनर्जी सिक्योरिटी” के लिये उठाये जा रहे हैं। अपने विस्तार के लिये कंपनी का इरादा कुल 2700 करोड़ अमेरिकी डालर के बराबर निवेश का है। देश की वर्तमान रिफायनिंग क्षमता 249 मिलियन बैरल प्रति दिन है और अनुमान है कि साल 2025 तक बढ़कर यह 298 मिलियन बैरल प्रति दिन हो जायेगी।
अमेरिका की एक काउंटी ने नये जीवाश्म ईंधन संयंत्रों पर पाबंदी लगाई
उत्तर पश्चिम अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य की व्हटकॉम काउंटी ने किसी भी नये जीवाश्म ईंधन इंफ्रास्ट्रक्चर पर पाबंदी लगा दी है। पूरे देश में इस तरह का ये पहला कदम है। किसी वर्तमान संयंत्र का विस्तार करने के लिये उससे होने वाले कार्बन इमीशन को ऑफसेट करना भी ज़रूरी होगा। महत्वपूर्ण है कि वॉशिंगटन की 5 में 2 तेल रिफायनरी इसी काउंटी में हैं और यह कोयले से लेकर तेल, गैस औऱ प्रोपेन का ट्रांसपोर्ट हब है। काउंटी ने यह कदम क्षेत्र की एयर क्वॉलिटी और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान और क्लाइमेट प्रभावों को रोकने के लिये उठाया है।
उधर दक्षिण में कैलिफोर्निया का पेटालुमा अमेरिका का पहला शहर बन गया है जहां इस साल मार्च से नये गैस स्टेशनों पर पाबंदी है। यह वर्तमान गैस स्टेशन मालिकों को इलैक्ट्रिक और हाइड्रोजन वेहिकल चार्जिंग पॉइन्ट्स लगाने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है। शहर की ये कोशिश 2030 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की है।
अमेरिका: तेल और गैस कंपनियां क्लाइमेट प्लान के खिलाफ फेसबुक प्रचार में लगा रही हैं 86,000 डॉलर
फेसबुक की विज्ञापनों से होने वाली कमाई के आंकड़े बताते हैं कि जो बाइडेन ने जैसे ही 2020 में अपने 2 लाख करोड़ डॉलर के क्लाइमेट प्लान की घोषणा की तेल और गैस कंपनियों ने प्रचार अभियान में खर्च करीब 13 गुना कर दिया। इन कंपनियों ने उनके क्लाइमेट प्लान के खिलाफ हर रोज 86,000 डॉलर खर्च किये जबकि तब तक इनका दैनिक विज्ञापन खर्च 6,700 डॉलर था। तब बाइडन राष्ट्रपति पद के लिये प्रचार ही कर रहे थे लेकिन अमेरिका की सबसे बड़ी तेल, गैस कंपनियों और कई समूहों और संस्थानों ने नेचुरल गैस की वकालत में पूरा ज़ोर लगा दिया। इस प्रचार में यह बताया गया कि नेचुरल गैस बिल्कुल साफ ऊर्जा स्रोत है और आने वाले दिनों में इसे और बेहतर किया जा रहा है।
फेसबुक कहता है कि वह तथ्यात्मक रूप से गलत विज्ञापनों को नहीं लेता (क्योंकि नेचुरल गैस क्लीन एनर्जी नहीं है)। फिर भी कंपनी ने इस कैंपेन से 1 करोड़ डॉलर कमाये।
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