उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक बाढ़ से जहां 200 से अधिक लोगों के मरने की आशंका है वहीं जलवायु परवर्तन के बढ़ते प्रभावों की बहस को नये सिरे से शुरू कर दिया है। पिछले रविवार (7 फरवरी) को ऋषिगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ से दो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गये और आधा दर्जन छोटे बड़े पुल टूट गये। एक निजी कंपनी की 13.5 मेगावॉट की हाइड्रो पावर परियोजना तो पूरी तरह नष्ट हो गई जबकि नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन की 520 मेगावॉट तपोवन-विष्णुगाड़ निर्माणाधीन परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। इन दोनों ही प्रोजेक्ट में करीब 200 लोगों के मरने की आशंका है। रविवार को कुछ लोगों को ज़रूर बचाया गया लेकिन उसके बाद से 30 से ज़्यादा शव निकाल लिये गये हैं।
शुरुआती रिपोर्ट बताती हैं कि ऋषिगंगा नदी एक ग्लेशियर से अचानक हिमखंड और मलबा आया जिससे बाढ़ आई। कुछ विशेषज्ञ इस घटना को क्लाइमेट चेंज के बढ़ते प्रभावों से जोड़ रहे हैं। संवेदनशील पर्वतीय इलाकों में जहां लकड़ी और पत्थर का परम्परागत इस्तेमाल होता था वहां सीमेंट के अंधाधुंध इस्तेमाल से हीट-आइलैंड प्रभाव भी बढ़ रहा है।
उपग्रह से मिल रही नई तस्वीरों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बाढ़ की वजह ताज़ा बर्फ के विशाल टुकड़ों का मलबे के साथ अचानक नदी में आ जाना था जिससे एक एवलांच की घटना हुई और 30-40 लाख घन मीटर पानी नदी में आ गया।
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