ईमीशन नहीं रुका तो सब बेकार

ईमीशन नहीं रुका तो सब बेकार: सिर्फ कोयला हटा देना काफी नहीं है। बड़ी मात्रा में गैस का इस्तेमाल भी भारी उत्सर्जन कर सकता है। फोटो - Yale

भारत: नये गैस ग्रिड के लिये 6000 करोड़ डॉलर

सरकार एनर्जी डिमांड और साफ ऊर्जा के लक्ष्य के बीच फंसी दिखती है। इसीलिये जहां एक ओर ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि कोयले पर हो रही बहस का स्वरूप बदलने की ज़रूरत है ताकि ध्यान इमीशन को करने पर लगाया जा सके तो दूसरी ओर भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने ऐलान किया कि 2024 तक राज्यों में गैस सप्लाई का जाल बिछाने के लिये $ 6000 करोड़ खर्च किये जायेंगे। इस मिशन का नाम है – ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट। इसके तहत बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में प्रतिदिन 1.6 करोड़ स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर गैस सप्लाई होगी। इस कदम का मकसद गैस के मुकाबले अधिक कार्बन छोड़ने वाले कोयले की खपत को घटाना है।

जर्मनी: हवाई यात्रा पर बढ़ेगा टैक्स, कोल प्लांट्स को प्रस्तावित मुआवज़े में कटौती

जर्मन कैबिनेट छोटी और लंबी दूरी की उड़ानों पर टैक्स बढ़ा सकती है। इस कदम का मकसद उन लोगों की संख्या कम करना है जो  अंधाधुंध हवाई सफर करते हैं जबकि उनके पास कम कार्बन छोड़ने वाले यात्रा साधन उपलब्ध हैं। यूरोप में इन दिनों हवाई उड़ानों के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं।

जर्मनी 2023 तक 5 GW तक के कोल प्लांट बंद करने वाली कंपनियों को प्रस्तावित मुआवजे में भी कटौती कर सकता है। पहले प्रति GW 1200-1500 करोड़ यूरो का मुआवज़ा दिये जाने की बात थी लेकिन अब जर्मन सरकार सभी प्लांट्स के लिये कुल 1000 करोड़ के मुआवज़े तक सीमित कर सकती है।  कई बड़ी कंपनियों द्वारा इस कदम का विरोध होना तय है।

अमेरिका में बड़ी तेल कंपनी ने किया उत्सर्जन में कमी का वादा

अमेरिका की बड़ी तेल और गैस कंपनी शेवरॉन ने वादा किया है कि वह साल 2023 तक तेल निकालने से हो रहे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 5-10% की कटौती करेगी। ज़मीन से गैस निकालने के मिशन में कंपनी अपनी दक्षता को बढ़ायेगी और इमीशन तीव्रता में 2-5% की कमी करेगी। शेवरॉन अमेरिका में बड़ी तेल और गैस कंपनियों के समूह का हिस्सा है जिसे बिग ऑइल के नाम से जाना जाता है और दुनिया के कुल तेल और गैस कारोबार के एक तिहाई के लिये ज़िम्मेदार है।

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